जातिगत जनगणना पर राहुल गांधी के संकल्प की ऐतिहासिक जीत, भाजपा को झुकना पड़ा जनता और सामाजिक न्याय की ताकत के सामने

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 देहरादून

 

जातिगत जनगणना पर राहुल गांधी  के संकल्प की ऐतिहासिक जीत: करन माहरा

 

भाजपा को झुकना पड़ा जनता और सामाजिक न्याय की ताकत के सामने

 

उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष  करन माहरा ने केंद्र सरकार द्वारा जातिगत जनगणना कराने के निर्णय को एक ऐतिहासिक और क्रांतिकारी कदम बताया है, साथ ही इसे कांग्रेस नेता एवं नेता प्रतिपक्ष  राहुल गांधी की जनसरोकार आधारित राजनीति और सत्य के प्रति प्रतिबद्धता की जीत कहा है।

 माहरा ने कहा कि राहुल गांधी जी ने यह मुद्दा सिर्फ एक नारे के रूप में नहीं, बल्कि देश की संरचना को न्यायपूर्ण और संतुलित बनाने के लिए उठाया। उन्होंने बार-बार संसद से लेकर सड़क तक यह आवाज बुलंद की कि “जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी”—यह केवल एक मांग नहीं बल्कि देश के बहुजन समाज की आकांक्षा है।

 

वहीं भाजपा, जिसने शुरू में जातिगत जनगणना का खुलकर विरोध किया था और इसे ‘विभाजनकारी राजनीति’ करार दिया था, अब जनता के दबाव, राहुल गांधी जी के निरंतर संघर्ष और सामाजिक न्याय की लहर के सामने झुकने को मजबूर हुई है। यह बदलाव एक सत्ताधारी पार्टी की नैतिक हार और जनमत की विजय को दर्शाता है।

 

जातिगत जनगणना क्यों है आवश्यक?

 

 करन माहरा ने स्पष्ट किया कि जातिगत जनगणना सिर्फ सामाजिक समीकरण जानने का साधन नहीं है, बल्कि यह नीति निर्धारण, आरक्षण की समीक्षा, संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करने का आधार है।

 

उन्होंने कहा कि आज भी देश के कई वर्ग ऐसे हैं जिन्हें न तो राजनीतिक प्रतिनिधित्व मिला है, न ही आर्थिक योजनाओं में अपेक्षित भागीदारी। बिना ठोस आंकड़ों के कोई भी कल्याणकारी नीति केवल एक अनुमान पर आधारित होती है, जो अक्सर असमानता को और गहरा कर देती है।

 

राहुल गांधी का संघर्ष एक आदर्श उदाहरण

 

 माहरा ने कहा कि राहुल गांधी जी ने न केवल जातिगत जनगणना की मांग की, बल्कि भारत जोड़ो यात्रा और न्याय यात्रा जैसे अभियानों के माध्यम से हर राज्य, हर गांव, और हर वर्ग के लोगों से संवाद किया और यह महसूस किया कि सामाजिक न्याय ही भारत की एकता और प्रगति की कुंजी है।

 

उन्होंने कहा कि यह राहुल गांधी जी की दूरदर्शिता थी, जिन्होंने सत्ता के दबाव, मीडिया के प्रोपेगेंडा और राजनीतिक विरोध के बावजूद अपनी आवाज को कमजोर नहीं होने दिया। आज केंद्र सरकार का निर्णय उसी संघर्ष और अडिगता का परिणाम है।

 

भाजपा से अपील: इसे चुनावी स्टंट न बनाएं

 माहरा ने भाजपा को चेताते हुए कहा कि यह निर्णय केवल एक चुनावी रणनीति न बनकर रहे। इसकी प्रक्रिया पारदर्शी, वैज्ञानिक और निष्पक्ष होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता को अब केवल घोषणा नहीं, प्रभावी क्रियान्वयन और व्यवहारिक परिवर्तन चाहिए।

 

भाजपा को चाहिए कि वह इस मुद्दे को केवल राजनीतिक मजबूरी न समझे, बल्कि इसे एक राष्ट्रीय उत्तरदायित्व माने और सामाजिक न्याय की भावना से प्रेरित होकर ईमानदारी से आगे बढ़े।

 

अंतिम बात

 करन माहरा ने कहा कि यह क्षण केवल कांग्रेस पार्टी की जीत नहीं, बल्कि देश के करोड़ों पिछड़े, दलित, आदिवासी, अल्पसंख्यक और वंचित समुदायों की जीत है। उन्होंने राहुल गांधी जी को बधाई देते हुए कहा कि उनके संघर्ष ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि राजनीति का असली उद्देश्य सत्ता नहीं, सेवा और समानता होना चाहिए

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