किसानों की फसलों के मुआवजे राशि को बढ़ाने के लिए हरीश रावत के साथ किसानों ने किया सीएम आवास कूच।

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देहरादून,

किसानों की मुआवजा राशि बढ़ाने समेत किसानों की विभिन्न समस्याओं को लेकर हाथी बड़कला में धरना देते हुए सांकेतिक मौन व्रत रखा।देहरादून स्थित हाथी बड़कला में सीएम आवास से पहले सैकड़ो की संख्या में किसानों और कांग्रेस के नेताओं व कार्यकर्ताओं ने धरना दिया इसके बाद सैकड़ो की संख्या में मैदानी जिलों से पहुंचे किसानों ने हरीश रावत के नेतृत्व में मुख्यमंत्री आवास कूच किया। लेकिन पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को सीएम आवास से पहले बेरिकेडिंग लगा कर रोक दिया। इस दौरान हरीश रावत ने किसानों को उनकी फसलों का उचित मुआवजा दिए जाने की मांग उठाई, उन्होंने सरकार को किसान विरोधी बताते हुए कहा कि अपनी खराब हुई खेती के दर्द से बिलबिलाए किसान और किसानी दोनों आज देहरादून की सड़कों पर सड़े हुए गन्नों के साथ उत्तर पड़े हैं, और यह किस मुख्यमंत्री के समक्ष यह कहने आए हैं कि सरकार यदि उन्हें मुआवजा नहीं दे सकती तो फिर उनका अपमान भीनहीं किया जाए उन्होंने कहा कि 2014 में किसानों को ₹8000 प्रति बीघा मुआवजा दिया गया था लेकिन आज मुआवजे की राशि राशि घटाकर ₹1100 कर दी गई है, उन्होंने मांग उठाई कि आपदा पीड़ित किसानों की मुआवजा राशि बढ़ाकर 10 हजार रुपए की जानी चाहिए। हरीश रावत ने कहा कि किसानों के लिए गन्ना मुख्य आधार होता है,, और पूरी दुनिया में गन्ने और चीनी के दाम बढ़ रहे हैं, इसलिए सरकार को गन्ने का खरीद मूल्य सवा चार सौ रुपये प्रति कुंतल करना चाहिए। उन्होंने इकबालपुर चीनी मिल का मसला उठाते हुए कहा कि चीनी मिल पर किसानों के बकाया भुगतान को लेकर मुख्यमंत्री और सरकार ने वादा खिलाफी की है। उन्होंने आपदा की वजह से बर्बाद हो चुके फसल चक्र को देखते हुए बिजली पानी के बिल माफ किए जाने की भी मांग उठाई 

 

प्रदर्शन में शामिल हुए नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने किसानों की मांगे उठाई है, उन्होंने कहा कि आज देश और प्रदेश का किसान बुरे हालातो से गुजर रहा है, उसके सामने भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लगातार किसानो की आय दुगनी करने का वादा कर रही है, लेकिन किसानों की आय दोगुनी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि पूरे देश में फर्टिलाइजर ,दवाओं,खाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इजाफा हुआ है,, इसका किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। हद तो तब हो गई जब बीते साल किसानों के गेहूं की फसल चौपट हो गई, और पहाड़ों में फल और सब्जी उगाने वाले काश्तकार तबाही के कगार पर पहुंच गए लेकिन सरकार कोई सर्वे नहीं करा पाई। उन्होंने सरकार को किसान विरोधी बताया है।

 

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