पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर गांधी पार्क पर मौन उपवास रखा

देहरादून,
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का मौन उपवास।
आज पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत गन्ना किसानों की समस्याओं को लेकर गांधी पार्क पर मौन उपवास रखा, इस दौरान गन्ना किसानों ने गन्ने की फसल के साथ हरीश रावत के मौन उपवास में भाग लिया।पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि हम बहुत दिनों से किसानों की आवाज को उठा रहे हैं और यह आपदा ग्रस्त किसानों का मामला है, किसानों की गाना धान चरी जैसी फसल चौपट हो गई है, इससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है, लेकिन सरकार मुआवजे के नाम पर किसानों को अपमानजनक मुआवजा दे रही है, उन्होंने कहा कि सरकार ने अभी तक गन्ने का खरीद मूल्य घोषित नहीं किया है, उन्होंने मांग उठाई की दुनिया में चीनी की बढ़ी कीमतों को देखते हुए गन्ने का खरीद मूल्य ₹425 से कम नहीं होना चाहिए। हरीश रावत ने कहा कि इकबालपुर चीनी मिल से किसानों का करीब 100 करोड रुपए बकाया भुगतान अभी तक नहीं हुआ है, किसानों के सामने खाद के मूल्य बढ़ने से समस्याएं खड़ी हो गई है, किसानों को कई प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हमने लक्सर डोईवाला भगवानपुर छिद्दरवाला जैसी जगहों पर किसान सम्मान यात्रा निकालनी थी लेकिन दुर्भाग्यवश वह दुर्घटनाग्रस्त हो गए, जिस कारण सम्मान यात्राएं आगे नहीं बढ़ पाई। इसलिए आज वह गांधी जी की शरण में आकर किसने की समस्याएं उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सही है कि सरकार अदानी और अंबानी की खातिरदारी करे, मगर सरकार को किसानों के बारे में भी सोचना चाहिए। क्योंकि आज भी उत्तराखंड के 60% लोग खेती पर निर्भर हैं, लेकिन सरकार बार-बार किसानों की अनदेखी कर रही है।
वहीं डोईवाला गन्ना किसान समिति के चेयरमैन ने भी सरकार पर सवाल खड़े करते हुए कहा सरकार हमेशा किसानों को गुमराह करती आ रही है। किसानों को हर वर्ष गन्ने की फसल के बाद कभी गाने की पेमेंट के लिए तो कभी गन्ने के भुगतान के लिए बैठना पड़ता है हमारी फसल गन्ना मिल में जा तो रही मगर अभी तक हम ये तक नही मालूम के गन्ने का क्या रेट गन्ना किसानों को मिलेगा। हरियाणा और पंजाब की सरकार ने वहां के गन्ना किसानों के लिए पहले से ही रेट तय कर दिए हैं मगर उत्तराखंड की सरकार ने अभी तक कोई रेट तय नहीं किया है जिससे गन्ना किसानों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है