राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने पर जल्द लगेगी प्रवर समिति की मुहर।
राज्य आंदोलनकारियों और उनके आश्रितों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने पर जल्द ही प्रवर समिति की मुहर लग जाएगी,लेकिन किन प्रावधानों को लेकर प्रवर समिति काम कर रही है,और क्या वह तकनीकी पहलू है जिन पर समिति विशेष ध्यान में रखकर रिपार्ट तैयार कर रही है।
राज्य आंदोलनकारियों की मुराद होगी पूरी
प्रवर समिति की बैठकों में हर तकनीकी पहलू का किया जा रहा है अध्ययन
आरक्षण के मानकों का रखा जा रहा है ख्याल
धामी सरकार बुलाएगी विशेष सत्र
आन्दोनकारियों के 10 फीसदी आरक्षण पर मुहर लगने के लिए बुलाया जाएगा सत्र
उत्तराखंड की धामी सरकार राज्य आंदोलन करियों और उनके आश्रितों को 10% सरकारी सेवाओं में आरक्षण दिए जाने के मसले पर गंभीर दिख रही है,धामी सरकार के द्वारा जहां विधानसभा के मानसून सत्र में राज्य आंदोलन कारियों और उनके आश्रितों के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण दिए जाने का का विधेयक पेश किया गया था,वहीं कुछ तकनीकी खामियां विधेयक में थी, जिस पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति बनी की जो तकनीकी खामियां है उन्हें दूर किया जाए,जिसपर विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूरी के द्वारा प्रवर समिति के अधीन आंदोलन कारियो के 10% आरक्षण दिए जाने का मसाला सौंप दिया गया,कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल की अध्यक्षता में प्रवर समिति बनाई गई है,जिसमें सदस्य के रूप में भाजपा विधायक मुन्ना सिंह चौहान, उमेश शर्मा काऊ और विनोद चमोली को जगह दी गई है, तो वहीं कांग्रेस विधायक और उप नेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, कांग्रेस विधायक मनोज तिवारी और बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद सदस्य के रूप में समिति में है। समिति की अभी तक दो बैठक हो चुकी है, जबकि समिति के अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल का कहना है कि एक और बैठक समिति की होगी जिसमें प्रवर समिति अपनी रिपोर्ट तैयार कर लेगी। ऐसा नहीं है कि धामी सरकार ही राज्य आंदोलन कारियो को आरक्षण देने को लेकर आगे बढ़ रही हो, इससे पहले की सरकारों ने भी राज्य आंदोलनकारी को आरक्षण देने को लेकर मोहर लगाई, एनडी तिवारी सरकार के द्वारा भी 10 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने पर मोहर लगी थी, लेकिन केवल आंदोलनकारी को आरक्षण दिए जाने का जीओ जारी हुआ था, जिसे हाई कोर्ट के द्वारा खारिज किया गया था, वहीं हरीश रावत सरकार के द्वारा भी राज्य आंदोलनकारी को 10% आरक्षण दिए जाने पर मोहर लगाई गई थी, लेकिन राजभवन के द्वारा उसे मंजूर इसलिए नहीं किया गया क्योंकि उस विधेयक में आरक्षण देने को लेकर वर्ग का ख्याल नहीं रखा गया था,ऐसा जानकर मानते है,जानकारों की माने तो केंद्र सरकार के द्वारा आरक्षण दिए जाने को लेकर जो प्रावधान किया गया है,उसमें वर्ग विशेष का होना जरूरी है,और अब प्रवर समिति भी इस पहलू को लेकर लीगल राय ले रही है,जो हमारे सूत्र बता रहे हैं,ताकि कोई अड़चन विधेयक में न रहे। भाजपा विधायक और समिति के सदस्य विनोद चमोली का कहना है कि समिति सही दिशा की ओर आगे बढ़ रही है, और हर तकनीकी पहलू का अध्ययन करते हुए आगे बढ़ है। नेता उपतिपक्ष और और समिति के सदस्य भवन कापड़ी का कहना है कि कांग्रेस पहले से ही राज्य आंदोलनकारियो को 10% आरक्षण दिए जाने के पक्षधर रहिए इसलिए जो भी खामियां हैं उनको दुरुस्त करने को लेकर वह राय दे रहे हैं और सदन में भी उन्होंने इसको लेकर आवाज उठाई थी, जब सरकार के द्वारा विधेयक पेश किया गया था। राज्य आंदोलन कार्यों को 10 फ़ीसदी आरक्षण दिए जाने को लेकर जहां सत्ता पक्ष और विपक्ष एक साथ आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं,वहीं धामी सरकार के द्वारा जो विधेयक सदन की पटल पर पेश किया गया था,उस लेकर जानकर बता रहे हैं कि वह अभी से तो लागू हो जाता, लेकिन जो पूर्व में करीब 1700 राज्य आंदोलनकारी नौकरी पर लगे हुए हैं,उनके लिए यह प्रभावी नहीं होता इसलिए उन 1700 कर्मचारियों के भविष्य मो सुरक्षित किए जाने का प्रावधान भी विधेयक में होगा। ऐसे में देखना यही होगा कि आखिरकार पर्वत समिति कितनी जल्दी अपनी रिपोर्ट तैयार कर तकनीक पहलुओं को दूर करती है,और धामी सरकार फिर कब सत्र बुलाकर राज्य आंदोलनकारियों को 10 फीसदी आरक्षण दिए जाने को सदन से पास कराती हैं।